My New Poem...!!!
रात भर सोता रहा क्या किया मैंने
ना रब को याद किया ना प्रभु को...
मगज मगर जगता रहा मेरा रात भर
तभी मज़हबी ख़्वाब देखा किया मैंने..
दिल भी धड़कता रहा मेरा हर रात भर
तभी अगली सुबहा आग़ाज़ किया मैंने..
स्टॉमक भी चलता रहा मेरा रात भर
तभी तो बदबू-कूचा निकाल किया मैंने
किडनी भी चलती रही मेरी रात भर
तभी तो खून साफ़ 🧼 किया मैंने...
फेफड़े भी चलते रहे मेरे रात भर
तभी तो साँसों की लय चलाई मैंने...
गरज कि हर ऑझा मेरे जिस्म का
चलता रहा पर में सोता रहा रात भर..
काश कि
हंसी रात के कुछ पल बिताएँ होते
हरि-रटन में तो जीवन पावन किया होता मैंने
✍️🌹🌲🌸🙏🌸🌲🌹✍️