My Meaningful Poem...!!!
यारों अल्फ़ाज़ भी एक दौलत है
इसे बिलावजह यूँ ही ज़ाया न करे
मुँह से न निकलें तब तक तो हर एक
बात भी एक अज़ीम व संगीन राज़ ही है
पर बात बात में ग़र मुँह से निकल गई
तो बात महज़ हवा बन फ़िज़ा में ग़ायब
लफ़्ज़ों के तरानों से ही तो हक़ीक़त
के मंजर ज़हनों से उभर कर संवरते है
बहसबाजी की जालसाज़ीओ से भी
अल्फ़ाज़ ही चिनगारी को हवा देते हैं
🔥आग-बबूला ग़ुस्सा भी लफ़्ज़ोंके
बारूदी सैलाबों से ही पयदा होता हैं
ग़रज़ कि लफ़्ज़ों की सही सनाख़त
ही दुनिया में ही जन्नत अता करती हैं
वही लफ़्ज़ों का ग़लत इस्तेमाल ही हमें
दुनियाँ में ही जहन्नुम-सा फ़ल देता हैं ।
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