#करुणा
मानव में सब गुण हैं संचित
स्नेह,प्रेम,करुणा सब हैं
और ईर्ष्या ,अहं भाव भी तो
उसके भीतर जन्म से हैं
ये सब स्वाभाविक रूप जमे
कब बिखर गए,कभी रहे थमे
इनमें ही चयन किया जाना
क्या छोड़ा जाय,किसे पाना
जो जीवन छोटा सा मितरा
उसमें है हमें चयन करना
हम डूबे रहें अहं में या
बांटें अहं,स्नेह-प्रेम-करुणा🌹