हां, मैं औरत हूं…
हां, मैं औरत हूं…
पर कमजोर नहीं हूं मैं…
हां, मैं औरत हूं…
पर कोई खिलौना नहीं हूं मैं…
जिसे कोई भी उपयोग कर तोड़ मरोड़ दे।
हां, मैं औरत हूं…
पर कोई सामान नहीं हूं मैं…
हां, मैं औरत हूं…
मैं हारी हूं तो बस उन अपनों से जो इस समाज कि रूढ़ियों के जंजीरों से जकड़े हैं।
जिस दिन नारी काली का रूप लेकर आएगी…
उस दिन वह सुनामी लाएगी…
जिसे कोई भी जंजीर ना रोक पाएगी।
हां, मैं औरत हूं…
पर हारी नहीं हूं मैं…
मैं ही काली…
मैं ही दुर्गा…
हां,एक औरत हूं मैं…
हां,एक इंसान हूं मैं…
कोई खिलौना नहीं…
-Naina Gupta