हाथो की लकीरों में ढूंढ रहे है,
पापा ने जो उठाया था गोद में,
राहत दी थी अपनेपन के होने में,
उंगलियाँ पकड़ कर चलने में,
ले गए थे कभी लंबे सफ़र में,
जिद्द करने पर ख्वाब पूरे करने में,
नसीब की लिखावट हर जरिए में,
जब भी उनका होता हाथ माथे पे,
जहां में कहीं गुम ना हो जाने में,
करीब रह कर अक्सर दुनिया बताने में,
ए खुदा तकदीर ए इश्क समझाने में,
पापा के हर जन्म हर जगह एक बेटी को जिंदगी दिखाने में,
में चाहती तो भी बहुत कम मिलता इस जमाने में,
मेरे पापा ने जो दिया वो किस्मत में मुमकिन नहीं,
बे मतलब लड़ते जगड़ते रहने में,
और आइस्क्रीम दे कर गुस्सा शांत करने में,
हर शक्श के गैरो जैसा मतलब निकालने में,
पापा वजूद देते है शान से जिंदगी जीने में।
खुशियां मिलती नहीं हर जगह गुमने में,
बस पापा की गोद में एक झपकी लगाने में,
फरमाइश पूरी की मेरी हर कदम कदम पे,
जिसके नाम से जानी जाती हूं " मेरे पापा"।