अलग -अलग चलते -चलते
एक दिन यूँ ही टकरा गये
देखा एक दूजे को
दिल में समा गये
देंगे साथ एक दूसरे का
करके वादा साथ निभा गये
सप्तपदी के सातों वचन
दिल में कुछ यूँ बस गये
आये बहुत पतझड़ जीवन में
हर बार सावन में बदल गये
लाख चाहा किस्मत ने
अड़कर पहाड़ों की तरह
जीवनधारा का रुख मोड़ना
तेरे प्यार की सरिता ने
हर बाधा को पार कर लिया
अब तो हर पत्थर
संगमरमर लगने लगा
खुरदुरापन भी
चिकनाहट में बदलने लगा
विवाह के बंधन को
दिल में कुछ यूँ रचा गये
न हो पाए दूर तुमसे
वादे वफ़ा तुमसे निभा गये।।
-Sakhi