My Wonderful Poem...!!!
यारों मेरा इस फ़ानी जहाँ में होना
गोया कि क़ुदरत का फ़ज़ल होना
न होता में तो कैसे पहचाना जाता
ख़ुदा,सौ मेरा होना ही रब का होना
मेरा होना उस प्रभुकी हस्ती का होना
आत्मासे ही परमात्मा का भी है होना
क्रिया जो भी में कर सकता तो बस
उस आत्मा के शरीर में रहने तक ही
गोया आत्मा ही शक्ति प्रदान करती
आत्मा से ही हस्ती का नाम भी होना
ग़र आत्मा शरीर से जुदा तो नाम भी
ग़ायब फिर लाश या डेड़ बोड़ी होना
मतलब तन के रहते ही मन को साफ़
है करना ता कि मुक्ति मयस्सर होना
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