तुम्हारा प्यार,
पत्ती पर ठहरी बारिश की नन्हीं सी बूँद,
चमकती मोती सी,
और ओझल हो जाती
हवा के एक झोंके से
तुम्हारा प्यार,
आकंठ पानी से भरी एक बदली,
बरस कर दो पल
फिर गुम हो जाती क्षितिज में कहीं
तुम्हारा प्यार,
इंद्रधनुष सा निकलता, बिखराता रंग
और छोड़ जाता
लकीर बस एक ,
धुंधली सी याद की ।
संगीता जयपुर
#तुम्हारा