अगर में मनाना छोड़ दूंगा, तो ओ रूठना भूल जाएगी ।।
इश्क़ में हार जीत नहीं, एक दूसरे का प्यार देखते है।।
इश्क़ में भोला पन है, इश्क़ में इम्तिहा है, इश्क़ में खुशियों और गमो का दोहरा पन है।।
सायद ही कोई इश्क़ ऐसा होगा जिसमें, गमो या खुशियां पहाड़ ना आया हो।।
इश्क कभी हसाता है, कभी रुलाता है, इश्क़ इश्क़ है, इश्क़ का कोई मोड़ नहीं, इश्क़ का कोई तोड़ नहीं।।
अश्विन राठौड़
"स्वयमभु"