"खूदको चाहेंगे"
शिखा दिया उसने अकेले जीना हमें
जख्म दिये इतने की पुरा जीवन चले
डर लगता है प्यार नाम की चीज़ से
शितल पर जहर से कम नही है ये
जो मीला वह प्यार के लायक नहीं
प्यार के लायक थे उसे पा न सके
ना रही वो आश ना रही कोई चाहत
अब बहते नयनों से प्यास बुझा लेंगे
कोई साथ दे या ना दे हम जी लेंगे
यूंही दर्द की कलम चलाये मर जायेंगे
छोड दि सब उम्मीदें छोड दि आहट
'माहि' बाकी बचा वक्त खूदको चाहेंगे
-पवार महेन्द्र
-Pawar Mahendra