*हवाओं में कुछ हलचल है,थोड़े समझदार हो जाइए ।*
*तूफान आने का अंदेशा है, थोड़े खबरदार हो जाइए ।*
*बुझ ना जाए बेवक्त कहीं, जलते चराग़ इन हवाओं से,*
*इल्तिज़ा है सबसे यही कि, थोड़े होशियार हो जाइए ।*
*हरने आई ये बंद हवाएं, चैन ओ सुकून जिंदगी का,*
*सब कुछ छोड़ के पहले, ख़ुद के पहरेदार हो जाइए ।*
*उड़ने लगी रंगत देखो, इन कायनाती फिज़ाओं की,*
*कैद कर के ख़ुद को अब, घर में गुलज़ार हो जाइए ।*
*अजब है ये जंग जिंदगी की, जीत ना सकते दौड़ के,*
*ठहर के अपने मुक़ाम पे, जीत के दावेदार हो जाइए ।*.