मेरे पिता अक्सर कहा करते हैं
कि
लिखना उसी भाषा में चाहिए
जिसमें व्यक्ति सपने
देखता हो।
मुझे आज सुबह आभास हुआ
कि
मैं तुम्हारी भाषा में सपने देखता हूँ।
वो भाषा जो न हिंदी है-न अंग्रेजी
और न कोई अन्य बोली।
तुम्हारी भाषा में मुझे पता चला
कुछ बोला और लिखा नहीं जा सकता
बस सपने देखे जा सकते हैं।।