#विजय
हे..मनुष्य
तू क्यों ड़रता है, क्यों घबराता है ??
लक्ष्य की प्राप्ति में बढ़कर तो देख
कांटों भरी राह में चलकर तो देख
जंगलों-पहाडों में जाकर तो देख
आखिरी श्वास तक लड़कर तो देख
विकट बाधाओं को हराकर तो देख
विजय पताका लहरा कर तो देख
पराजय मुठ्ठी में कैद करके तो देख
किसीकी तलाश में जान देकर तो देख
तूफ़ानों पे सवारी करके तो देख
व्यवधानों पे हंसकर तो देख
तू हिम्मत हारना नहीं, रास्तों से भटकना नहीं
हड्डियों को वज्र बना, हृदय को उत्साही बना
ड़र नहीं तो पराजय नहीं, जीत ही मिलेगीं
तेरे मन पे विजय पाकर तो देख
सफलता तेरे सामने नद मस्तक होगीं ।।
( १७/९/२०२०)
-© शेखर खराड़ी