उड ही जाते हैं परिंदे ऐक दिन घोंसला छोड़ कर
क्या करू कि मुझे छोड़ जाना नहीं आता
तोड़कर घोंसला मुझे आसमां बनाना नही आता
मुकर के सच से जूठा जहाँ बनाना नहीं आता
सच - जूठ का एक आयना हैं मेरे अंदर
हर भावनाओं मैं मुझे बेह जाना नहीं आता
समेट कर रखती हु अपने आपको सबके सामने
हर किसी के सामने बिखर जाना नहीं आता
मुकर के सच से जूठा जहाँ बनाना नहीं आता
- जिन्दगी