बँगला,गाड़ी,शोहरत,क़ाबिलियत ,सम्मान,
यह सब देख -देख कर ,हैरान और परेशान ,
क्या किसी ने देखा सोचा हे मानव महान !
कितना दर्द सहा उसने ,क्या सोचा है आज,
संघर्ष किया है उसने ,नहीं देखा दिन-रात ,
जीवन में मस्ती त्याग,आराम त्याग,
तब आज मिला सम्मान,आज मिला सम्मान ।
सीखो मानव !आज हरे -भरे वृक्षों से सीखो ,
फल-फूल,हवा,पत्ते लकड़ी दूजों को ही,
दान दिया,अपना सब कुछ दान किया ।।
आशा सारस्वत
#संघर्ष