Hindi Quote in Poem by Akshay jain

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#खेद

मुझे खेद कोई इस बात का नहीं है कि, मैनें गरीबी में जन्म क्यों लिया।
पर मुझे खेद इस बात का है कि, मैं स्वार्थी दुनियां में पैदा ही क्यों हुआ।।

खेद मुझे इस बात का भी नहीं है कि, मेरे तन का रंग काला क्यों है।
मगर खेद इस बात का जरूर है कि, दुनियां की सोच काली क्यों है।।

मैं निकम्मा हूं, कुछ नहीं कर सकता, इस बात का भी कोई खेद नहीं है।
लेकिन कुछ करने वालों से लोग जलते क्यों हैं।, इसका खेद मुझे है।।

माना मैं अपना प्यार हासिल नहीं कर पाया, मुझे इसका भी खेद नहीं है।
पर लोग प्यार के नाम पे जो खिलवाड़ करते हैं, उसका मुझे बहुत खेद है।।

सफलता नहीं मिली, पर मैनें मेहनत की इसलिए मुझे कोई खेद नहीं है।
मगर ये सफलता भी बिक जाती है इस दुनियां में, इसका मुझे खेद है।।

मानता हूं!अपने मां-बाप को ज्यादा सुख न दे सका, परंतु खेद नहीं है।
लेकिन कुछ लोग उन्हें अनाथाश्रम भेज देते हैं, उसका मुझे बहुत खेद है।।

जीवन में किसी को कुछ न दिया। सामर्थ्य नहीं थी, तो मुझे खेद नहीं है।
मगर जो देकर,लेने वाले को भिखारी बना दे, उसका दिल से मुझे खेद है।।

माना! गरीब था बिना दवाई के मर गया, पर अभी भी मुझे खेद नहीं है।
मगर जो धन से भी जीवन न खरीद पाया, उसका मुझे वाकई खेद है।।

Hindi Poem by Akshay jain : 111563323
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