सुबह- सुबह देखा एक सपना
हाथों में हाथ लिए कोई अपना
मधुर - मधुर बातें है करता
स्वप्नलोक में साथ विचरता
करता बहुत हास- परिहास
स्निग्ध माधुर्य सा श्रंगार प्रयास
नयन खुले छूट गया साथ
छा गया ह्रदय में मधुर अनुराग
आंखों में छवि, गालों पर लाली
छाये हरदम प्रिय की खुमारी
बन्द कर नयन फिर सो जाऊँ
मधुर स्वप्न में फिर खो जाऊँ।।।
-Sakhi