भारतीय संविधान के निर्माताओं ने आरक्षण की व्यवस्था इसलिए की थी ताकि समाज में जातिगत और धर्मगत असमानताओं को दूर किया जा सके और समतामूलक समाज की स्थापना हो सके। पर इसका परिणाम उल्टा हो रहा है। आरक्षण द्वारा ऐसी राजनैतिक पार्टियां उभर गई हैं जो जातिगत और धर्मगत राजनीति कर अपना पोषण कर रहीं हैं। दलितों और पिछड़ों का तो भला नहीं हुआ , अपितु जाति और धर्म गत राजनीति करने वाले नेताओं और राजनैतिक पार्टियों का भला आवश्य हो रहा है। ये राजनैतिक पार्टियाँ , जिनका आधार हीं जातिगत और धर्मगत असामनता हैं , आखिर समतामूलक समाज की स्थापना में अपना सहयोग क्यों दे ? फिर समतामूलक समाज की स्थापना हो कैसे ? आइये देखते हैं इस कविता में।
आरक्षण का क्षय हो कैसे, आर्यावर्त का जय हो कैसे?
सबका एक बराबर हित हो , विषमता का क्षय हो कैसे?
आरक्षण से दलित कुचित औ ,पिछड़ों का हित ना होता,
जो हैं शक्ति पुंज दलित गण , बस उनका पर हित होता।
दो चार के हित से बेशक, खत्म नहीं दलित अत्याचार,
जाति धर्म है रोजी जिनकी,बन जाती उनकी सरकार।
जिन नेताओं की जाति और , धर्म विशेष हीं है पोषण,
वो किंचित क्या चाहेंगे पिछड़ों का ना हो अवशोषण।
अभी आरक्षण से बोलो तुम, क्या बन पाया देश मेरा,
बटा हुआ है हिन्दू ,मुस्लिम, दलितों में है देश मेरा।
कभी महा राज नरेशों को मिट्टी में करके देश बना,
फिर क्यों जाति धर्म नाम पर टुकड़ो में अवशेष बना?
बिना जाति और धर्म मिटाये नहीं देश का जय होगा,
एक राष्ट्र में एक जाति हो एक धर्म तब जय होगा।
तो आओ हम देखें कैसे, आरक्षण असुर मिटायेंगे,
धर्म जाति गत नेता नीति, पार्टी आदि हट जाएंगे ।
जाति धर्म के मूल में है क्या, जन्म एक वंश विशेष,
धर्म वंश मूल मिट जाएँ तो , रह पायेगा क्या अवशेष।
इसी लिए हे राष्ट्र प्रणेता , इतनी सी बस है दरकार,
जो जाति के बाहर शादी करते उनको हो अधिकार।
उनको हीं अधिकार मिले , सम्बल मिले आरक्षण का,
जो धर्म इतर से शादी करते, हो अधिकारी रक्षण का।
विजातीय धर्म युगल को, जब मिलता हो प्रोत्साहन,
फिर कैसे इस जाति धर्म का,हो पाये कोई संवर्द्धन।
माता मुस्लिम, पिता हिन्दू, सोचो जिस परिवार में,
जैन भाभी ओ जीजा क्रिस्चन, क्या होगा विचार में?
वो गेह भी कैसा होगा, दादी वैश्य हो दादा ब्राह्मण,
चाचा चाची राजपूत औ परिजन जिनके होते हरिजन।
जब ऐसे हीं परिवार से, नबल बीज उग आएंगे,
फिर जाति धर्म की रटने वालों को क्या ये सुन पाएंगे?
ना कोई रक्षण को उत्सुक फिर परीक्षण क्या होगा,
जाति होगी ना धर्म रहेगा, आरक्षण तब क्या होगा।
इसीलिए इस धर्म जाति का , बंद करो ये आरक्षण,
जाति धर्म के इतर हैं जो भी, उन्हें प्राप्त हो ये रक्षण।
अन्तर्जातीय धर्म शादी से, जाति धर्म का क्षय होगा,
जाति धर्म मिट जाएंगे सब, इस राष्ट्र का जय होगा।