# तुम्हें याद है?
एक दिन
याद आएंगी तुम्हें
मेरी बातें
मेरा प्रेम
मेरा वो ध्यान रखना
तुम्हारी छोटी छोटी चीजों का;
वह हर क्षण
जब मैंने तुम्हारे लिए सोचा
वह हर चीज
जो मैंने तुम्हारे लिए लाया
तुम्हें शायद पता भी नहीं होगा
उसमें छिपा प्रेम मेरा
और उपेक्षित की गई मेरी इच्छाएं
तुम्हारे लिए वह सामान मात्र था
परंतु उसमें छुपी थी
घंटों की मेहनत मेरी
और मेरा बहुत सारा स्नेह;
मेरे भाई
क्या तुम्हें
कभी याद आती है
अपनी वह छोटी सी मां,
जो हाथ में
पसीने से भींगी
बिस्किट दबाए होती थी
खुद खाने से पहले
तुम्हें खिलाती थी;
जो दौड़ पड़ती थी लड़ने
मुहल्ले के लड़कों से
तुम्हारे लिए ;
और आती थी
पीटीएम में
तुम्हारा अभिभावक बनकर।
जो वर्षों पहले
अपने बचपन में ही बन गई थी
तुम लोगों की मां
मम्मी के
ऑफिस जाने के बाद;
वैसी वात्सल्य भरी मां तो
फिर बाद में कभी वो
बन ही नहीं पाई।