अकेलापन
यूँ तो हमेशा घिरि रहती हूँ ...
या तो अपनो से या अपने ख़्यालों से ...
ये वक़्त ऐसा आ गया की अपने साथ हो कर भी है अलग ...
एक ही घर में है ...
फिर भी रहते है अलग
यू तो सब साथ है , फिर भी हूँ अकेली ...
यहाँ है काफ़ी अपनापा .... पर न जाने क्यूँ सताता है ये अकेलापन !!
Poetry by • Jill शाह •