Hindi Quote in Poem by आशा झा Sakhi

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इन हवाओं में मस्ताना रंग छा गया
देखो आज फिर 15 अगस्त आ गया
इन हवाओं में फिर केसरिया महक है
बीते 73 वर्षों की कुछ खट्टी,
कुछ मीठी ,कुछ कड़वी सी कसक है
कभी 62 का वो छल याद आता है
हिंदी - चीनी भाई - भाई का
वो नारा याद आता है
48, 65, 71,99 का
वो साल याद आता है
कैसे चटाई धूल पाक को
वो पल मानस -पटल पर छा जाता है
कभी 90 का वो
खूनी मंजर याद आता है
लगे थे जब अल्लाह हो अकबर के नारे
सनी थी कश्मीरी पंडितों के खून से
ये केसरिया वादी
नरों ढेर लगाती लाशें
बहनों- बेटियों का वो करुण- क्रंदन
अपनी अस्मत को बचाती
आत्मबलिदान करती मां - बहन की
वो बेबसी याद आती है
कैसे आतंकवाद अपना असर दिखा रहा था
जगह-जगह कर विस्फोट
अपनी ताकत दिखा रहा था
उस समय डर और आतंक का
शोर चारों ओर था
फिर करवट ली समय ने
और सोच बदल गयी
भारत माता के करून रुदन से
माता के लालों की आंखें खुल गयी
बदली सबकी सोच
और सरकार देश की बदल गयी
चाल और चरित्र बदलने का
असर कुछ ऐसा हुआ
देते थे जो गाली सेना को
वो सेना की गोली खाने लगे
जल्दी- जल्दी मिलने हूरों से
कथित जन्नत में जाने लगे
फिर ऐसा किया पलटवार
उड़ गए दुश्मन के होशोहवास
कश्मीर को आजाद कराने वाले
अपनी जान बचाने फड़फड़ाने लगे
आज सही मायने में देश
15 अगस्त मना रहा
जब कश्मीर के भारत माता
चौक पर भी तिरंगा लहरा रहा।।।।

Hindi Poem by आशा झा Sakhi : 111542052
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