# वह लड़की
वह लड़की
नहीं सुनती है किसी की
जब बातें
उसे पसंद नहीं होती हैं;
खड़ी हो जाती है
निडर अकेली सबके सामने
अगर सहमत ना हो
किसी विचार पर;
उसके शब्दकोष में
नहीं है एक भी शब्द
लैंगिक असमानता का;
ना ही उसे पसंद है
वैसे कोई भी नियम
जो बने हों सिर्फ
व्यक्ति विशेष के लिए;
वह समर्पित है
अपने प्रत्येक कर्तव्यों के लिए
उसे पता है
अधिकार तो उसके है ही;
वह स्वयं सक्षम है
अपना घर बनाने में
उसे पता है
अन्य दो घर उसके हैं ही;
उसे पसंद नहीं है
वृद्ध व्यक्ति को उठा कर
महिला सीट पर कब्जा करना
ना ही उसे पसंद है
कार्यक्षेत्र में अपने स्त्रीत्व का
इस्तेमाल करना;
उसे नहीं पसंद है
पति नामक पुरुष के
चरण छूती लड़कियां
जो अनजाने में भी
पति को परमेश्वर
बना रही होती हैं
और स्वयं को सहधर्मिणी से
दासी बना रही होती हैं।
उसकी आदर्श सावित्री रही
जो कि सत्यवान के प्राण
वापस लाने में सक्षम थी
और याज्ञसेनी द्रौपदी भी
जो पांचाली और चिर कुंवारी थी।
वह प्रेम करती है
स्वयं को
अपने रक्त संबंधियों को,
और उन सबको
जो उसे प्रेम करते हैं
क्योंकि उसे पता है
कि उसका अस्तित्व
उन सबसे है।
वह माता पिता का संबल है
भाई बहन का साथ देने को कृत्संकल्पित है
सशक्त मां है
स्वाबलंबी सहधर्मिणी है
निष्ठावान मित्र है
और एक कर्तव्य निष्ठ नागरिक है
अपने समाज और देश की।