वक्त के हाथों में
में सब होता है
जो लेता है फैसले हमारे लिए
वो रब होता है
चले थे जिन गलियों मे कभी
बचपन से जवानी तक
उन्हीं गलियों में फिर
आना कम होता है
आखिरी सांस जब छोड़ जाती है
नए सफ़र में जब निकलते हैं
दिल यही कहता है
कहीं भी चले जाओ
पूरी उम्र गुज़ार कर देख लो
यही मिट्टी का घर
असली स्वर्ग होता है
- अनिता पाठक