# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .दयालुता "
# कविता ***
दयालुता मानव मात्र ,का गहना है ।
दयालुता से मानव ,सुशोभित होता है ।।
दयालुता से करुणा ,झलकती है ।
दयालु व्यक्ति ,परोपकारी होता है ।।
दयालु व्यक्ति ,किसी को तड़पता नहीं देख सकता है ।
किसी के आंसू पौछना ,दयालुता ही है ।।
जीव मात्र के दुःख दूर करना ,दयालुता है ।
दयालुता में ही ,ईश्वर का वास है ।।
मानव वही है जो ,प्राणीमात्र पर दया करें ।
दया धर्म का मूल है ,पाप मूल अभिमान है ।।
जब तक धट में प्राण है ,दया नहीं छोड़नी है ।
दयालुता ही सबसे ,बडा पुण्य है ।।
दयालुता में ही ,मानवता छिपी है ।
दयालु व्यक्ति ,किसी को दुःख नही देता है ।।
ईश्वर को तो नही देखा ,पर जीव मात्र में ईश्वर का निवास है ।
दयालुता से भी ,स्वर्ग मिलता है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।