मन तितली-सा उड़ता फिरे
तन-चमन में खिली बहार रे
फूलों से मेरा प्यार का रिश्ता
वह खुश और मैं मस्त हूँ
मेरे पंखों पे नजरें टिकी काँटो की
उनसे हर पल मैं त्रस्त हूँ
मेरा नाजुक तन है
लड़ना कठिन है
पर मन की शक्ति अपार रे
कली और फूलों से लदी हुई है
मेरी बगिया की हर डार रे
डॉ. कविता त्यागी