My Wonderful Poem...!!!
वक्त से थकीं हारी मुरादों
का फ़क़त ढेरा ही तो है ना..??
ए आयने मुझको बता दे,
तुं अक्स जो है, मेरा ही है ना..??
है गुमान दुश्मन को ये कि,
हम मिट चुके हैं उनकी बदौलत..!!
पर खत्म जिसने कर दिया,
अपनों का वह घेरा ही तो है ना..??
जिस्म की गिरफ़्त में,
हरदम नफ़स ही फड़फड़ाता है..!!
छूटे से कभी छुटता नहीं,
जन्मों का यह फेरा ही है ना..??
हसरतें भी अपनी जला के,
हम रोशनी दे देते है अक्सर..!!
गर्दिशो में वह सितारों का
छिपा हुआ-सा डेरा ही है ना..??
में चुका दूं एक ही जन्म में,
सौ सौ जन्मों का सब हिसाब..!!
पूछती "चाहत" खुदा से,
फ़ैसला ये जो है तेरा ही है ना..??
यारों रोके से कब रुकतीं है ,
वक़्त की ज़ालिम-सी रफ़्तार..!!
घड़ी ⏰ कीं सूईयों का भी
प्रभु-परस्ती में बसेरा ही है ना..??
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