तुम वासना में लिप्त, प्रेम से निर्लिप्त,
लुप्त, विलोपित मैं, हुँ अब प्रेम पतित.
किसी ने मेरी एक "वासना में लिप्त"
लिखित कविता का, अर्थ पूछ डाला,
मानो एक लिब लिबी हरी काई का,
विश्लेषण पूछ डाला, मैंने उसे कुरेचा,
तेज़ाब डाल दिया, अपने नाखूनों से
उस हरी लिब लिबी काई को खरोंचा
जब एक लाल रंग निकलने लगा तो
उसे दोबारा तेज़ाब से धो डाला, अब
वो जगह बेहद स्वच्छ है, नारित्व है.
#लिप्त