प्रेम का उदय(लघुकथा)
इंजी0 पति की किसी बात से उनकी पत्नी नाराज हो गई और नाराजगी ऐसी की पति महोदय से सीधी मुह बात तक नहीं करती
इंजी0 पति जिस कम्पनी में नौकरी करते थे, उसी कम्पनी के दिए गए फ्लैट में रहते थे सारी सुविधाएं थी ऐशो-आराम की जिंदगी में कोई परेशानी नहीं थी उस आरामदायक फ्लैट में दो ही प्राणी रहते थे इंजी0 पति और उनकी पत्नी,खैर......
पति बेचारे क्या करते? पहले तो चुपचाप देखते गए,फिर मनाने की कोशिश की, बात जब इससे भी नहीं बनी तो ऑफिस जाते वक्त उन्होंने अपनी पत्नी ने नाम एक प्रेमपत्र लिखकर बेडरूम के मेज पर रख दिया, और महाशय चुपचाप ऑफिस चले गए
थोड़ी देर के बाद पत्नी की नजर प्रेम पत्र पर गई, तो उसमें लिखा था
"मेरी प्रिये पत्नी जी,
आपका यूँ खफा होना मुझे रास नहीं आता है
गलतियां तो इंसान से होती हैं, और कम से कम
मुझे माफ कर दीजिए आप चाहे तो कुछ दिनों की
छुट्टी लेकर हम कहीं बाहर घूमने चले,परन्तु यूँ
नाराज मत होइए
काश!अगर मैं कवि होता तो आपकी चाँद सा मुखड़ा
पर कविता लिखता,अगर शायर होता तो शायरी करता,लेकिन मैं खुश हूँ क्योंकि आपका पति
जो हूँ, इसलिए अब मुस्कुरा दो
आपका इंजी0 पति"
इतना पढ़ते ही पत्नी का सारा गुस्सा ठंढा हो गया, और
उसकी होठो पर मुस्कान बिखेर गई, क्योंकि अब उसकी
दिल में इंजी0 पति के लिए प्रेम का उदय हो रहा था
:कुमार किशन कीर्ति,लेखक
बिहार