# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .खुश "
# कविता ***
दिल ही खुश नहीं तो ,
नजारों का क्या करोगें ।
जो खिजा में जिदंगी हो ,
तो बहारों का क्या करोगें ।।
जब दिल में किसी का प्यार नहीं ,
तो जी कर क्या करोगें ।
आँखों में किसी को बसाया नहीं ,
तो नयनों का क्या करोगें ।।
दिल किसी की याद में धड़का नहीं ,
तो उस दिल का क्या करोगें ।
दोस्ती का हाथ बढ़ाया नहीं ,
तो समय कैसे गुजारोगें ।।
आकाश को छुंआ नहीं तो ,उमंगों को क्या करोगें ।
मानवता अपनायी नहीं ,
मानव बन कर क्या करोगें ।।
ईश्वर का हाथ थामा नहीं ,
तो भवसागर कैसे तर पाओगें ।
परायों को अपना बनाया नहीं तो ,
मीठी रसना का क्या करोगें ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।