मृत्यु
मृत्यु एक कविता है
जो
किसी बुजुर्ग के होने पर
इतराती है
किसी युवा के होने पर
तंज कसती है
किसी बच्चे के होने पर
चीखती और चिल्लाती है
किसी असहाय के होने पर
संवेदनहीन हो जाती है
रस बंध छंद गंध
हर रुप में स्वीकार है
क्योंकि मृत्यु एक कविता है ।।
मृत्यु
एक राजनीति है
जो
कभी कस्बे के कस्बे और शहर के शहर
खामोश कर जाती है
कभी अट्टहास तो
कभी उपहास करती है
प्रजा पर राज करती है
पल में सबका सर्वनाश करती है
क्योंकि मृत्यु एक राजनीति है ।।
मृत्यु
एक इतिहास है
जिसे
कभी जाना न जा सका
कभी पहचाना न जा सका
जिसका रहस्य दबाए वो सदियों से
मानव सभ्यता पर मुस्कुरा रहा है
और दिन प्रतिदिन पुरातन हो रहा है
क्योंकि मृत्यु एक इतिहास है ।।
मृत्यु
एक विज्ञान है
जो
नित दिन एक नया अविष्कार करता है
नए नए रुप में निखरता और बहकता है
हर वक्त उसका
एक नया नामकरण होता है
क्योंकि मृत्यु एक विज्ञान है ।।
मृत्यु
एक धर्म है
जिसे मानव सभ्यता ने धारण किया है
कभी उदासी के साथ
कभी उल्लास के साथ
कभी गाजा बाजा के साथ
कभी चीख चिल्लाहट के साथ
क्योंकि मृत्यु एक धर्म है ।।
#अनंत