#हिन्दी कविता...
... बस अभी आके मिल....
टपक रही हैं बूंदें ख्वाहिशों की
फिर भी हैं प्यासी प्यासी
चाहतें हैं इनसे बहोत हमें
पर चारों ओर हैं छायी उदासी।
बूंदें जो बुझा न सकी प्यास मेरी
भीग न पाए हम इस बारिशों में
अश्कों की बूंदों में बह गए इसतरह
भीगे सिर्फ तेरी यादों की एहसासों में।
तन भी सुखा , मन भी गीला न हुआ
प्यार की बौछारों के लिए तरसा दिल
बिन बादल होनेवाली इस बरसात में
ख्वाहिश हैं तेरी, बस अभी आके मिल।
..... बस अभी आके मिल!!!
.... ©सौ. गीता विश्वास केदारे......
मुंबई