Hindi Quote in Poem by Kusum

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प्रकृति मुस्कान बिखेर रही है
प्रदूषण की समस्या होती जा रही थी विकराल,
प्रदूषण से मुक्ति, लेकर आई कोरोना - काल।
यदि समय पर किया होता प्रकृति का उपचार,
तो प्रकृति यूं करती नहीं हम पर प्रहार।
स्वयं की मरम्मत के लिए अपनाया -
पृथ्वी ने ये कोरोना - काल,
जिसके कारण संसार हुआ बेहाल।
अर्थव्यवस्था की कमर टूट रही है,
पर प्रकृति मुस्कान बिखेर रही है।
कल तक धुआं छोड़ती गाडियां -
करती थी समीर को बेहाल,
आज उनका है गैराज में बुरा हाल।
आज निर्मल-स्वच्छ हवा से हुई-
जानवरों की भी मस्तानी चाल।
कल तक रसायनों और कचरे से युक्त था जो           गंगाजल,
आज वही गंगा स्वच्छ है, और है निर्मल।
ये कोरोना नहीं सबक है,
हम प्रकृति की जरूरत हैं
यह एक मिथक है।
क्योंकि आज प्रकृति मुस्कान बिखेर रही है।

Hindi Poem by Kusum : 111522604
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