तेरी चाहत से,
सहर हो मेरी,
तेरी आरजू से,
हर रात.....
तू एक शामिल,
हो जाएं जिन्दगी में,
तो फिर,
होंगी क्या बात.....!!!
तेरी नज़रों की,
कशिश,
जब करतीं हैं,
छूने की कोशिश....
पागल दिल में,
होतीं हैं,
मीठी सी,
एक खलिश....!!!!
तुम भोर के,
तारे जैसे,
राह दिखाते हो,
मैं मुसाफिर एक,
भटकी सी,
तेरी ओर खिंची,
आती हूँ.....!!!!!
तेरे लिए हैं,
दुनिया की हर बात,
मैं तो बस चाहूँ,
एक तेरा साथ.....
तुझे और सिर्फ तुझे,
माँगू उस ख़ुदा से,
मैं तो दिन रात......!!!!!
काश फरियाद यें मेरी कबूल हो जायें,
जिन्दगी सुन,
मेरी ख़्वाहिश मुझ पर मेहरबान हो जाएं.....!!!!!
✍✍वर्षा अग्रवाल की क़लम से 🙏🙏🙏