कईसे करी हम राजाजी बखान
तोहर होठ के ई छोट मुस्कान,
देखी के हम ढहीले!
चेहरा बा भोला भाला मन शुद्ध सोना
ले लेला जान मिठ बोल के!
जब से बनके अईल जिंदगी में चांद,
लागे धरती पर आई असमान,
हवा मे बहीले!
तोहरा सिवा केहु लागे ना अच्छा
ई ह प्रीत के असर हो!
नजर रावल नईखे इतना आसान.
कईले ऎही से त कजरा ऐ जान,
पिया जी सचो कही ले! माया😊😊😊