कविता ..
विषय .सफलता ..
भेज पांखुरी ,कुछ गुलाब की ।
तुम सारा ,मधुमास दे गये ।।
एक पृष्ठ ही ,पढ़ा तुम्हारा ।
तुम सारा ,इतिहास दे गये ।।
तुमसे कभी नहीं ,मिल पाया ।
इसका नहीं ,शिकायत कोई ।।
जितनी दूर रहा ,मैं तुमसे ।
तुम उतना ,विश्वास दे गये ।।
यदि मातृ भूमि सा ,मंच न होता ।
मेरी तुमसे कभी ,बात न होती ।।
दिल की बातें ,दिल में रह जाती ।
अपनी कोई ,मुलाकात नही होती ।।
तुम जैसे मित्र ,मुझें नहीं मिलते ।
यह दिल में अफसोस ,ही रहता ।।
मेहंदी और महावर न हंसता ।
आप का मैं ,स्नेह कदापि न पाता ।।
तुमसे मिल कर ,दिल न चहकता ।
लेखनी मेरी ,हर पल उदास हो जाती ।।
न होता आकाश ,हाथ मे ,
सफलता न पैरों को चूमती ।
दिल में जीवन भर ,अफसोस ही रहता ,
आप जैसे मित्रों से मुलाकात ही न होती ।।