# कविता **
# मर्यादा ***
झाँक रहे है इधर ,उधर सब ,
अपने अंदर झाँके कौन ।
ढूँढ़ रहें दुनियाँ ,में कमियाँ ,
अपने मन में ताँके कौन ।।
दुनियाँ सुधरे ,सब चिल्लाते ,
खुद को आज सुधारे कौन ।
पर उपदेश ,कुशल बहुतेरे ,
खुद पर आज विचारे कौन ।।
हम सुधरेगे तो ,जग सुधरेगा ,
यह सीधी बात स्वीकारे कौन ।
विचारों में ,प्रदुषण भरा है ,
उसे शुद्ध बनाये कौन ।।
अबलाओं की ,इज्जत न करते ,
ये मर्यादा उनको समझाये कौन ।
हम सुधरेगे तो ,जग सुधरेगा ,
यह सीधी बात स्वीकारे कौन ।।