# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .भूत "
# छंदमुक्त कविता **
आजकल की युवा पीढ़ी ,
पर फैशन का भूत सवार हुआ है ।
धोडे के बाल की फैशन ,
कराने की हौड लगी है ।।
अलग अलग रंगों में ,धोडे के बाल दिखने लगे है ।
धुटनों पर फटी पेन्ट ,
पहनने की फैशन चली है ।।
आजकल शेल्फी का भूत ,सवार हुआ है ।
खतरों के खिलाडी ,खतनाक स्थलों पर शेल्फी लेने लगे है ।।
जान गंवाना अब ,सहज लगने लगा है ।
लड़के लड़कीयों में ,भेद करना कठीन हो गया है ।।
आज की युवा पीढी ,
कहाँ जाने लगी है ।
काले चश्मे लगा कर ,
रुतबा बताने लगी है ।।
आजकल की युवा पीढ़ी ,अपनों को सजाने लगी है ।
फैशन की बाढ़ में ,
जीवन तबाह करने लगी है ।।
भारतीय संस्कारों को भुला कर ,
गोरी मेम बनने लगी है ।
अपनी वास्तविक पहचान ,
अब खोने लगी है ।।
फैशन का भूत ,
सर चढ़ के बोलने लगा है ।
अपने चेहरे की पहचान ,
भी खोने लगी है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।