#Eccentric can be perspective..!!!
My Sorrowful Poem...!!!
मुश्किल है दौर इतना
और उम्र थक गईं
बेटियाँ बेटियाँ ना रही
इन्सान हैवान-से बन गए
सिफँ फ़ुल नौँचने से जी
नही भरता ख़ाक बनाके छोड़े
सिक्का चला ना-मर्दों का
ज़ालिम होना गर्व बन गया..
बाजार में हमने पूछा था
कि इंसानियत कहाँ मिलेंगी
सबने हंसते हुए कहा कि
वो तो कब कि मर गईं
बचा कुछ ग़र है तो बस कोरोना
वर्ना हैवानियत के दौर में
प्रभु-परस्ती भी ख़ीटी पर टंगी थी
शुक्र है आज दिलों में बसी है..!!
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