कभी मिलने चले आओ
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ
हर एक जानीब तेरा गम है कभी मिलने चले आओ
हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भंवर में हैं
हमारी आंखें भी नम हैं कभी मिलने चले आओ
मेरे हमराह गर चे दूर तक लोगों की रौनक है
मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ
तुम्हें तो खबर है मेरे ज़ख्मी दिल के जख्मों की
तुम्हारा मेलाप मरहम है कभी मिलने चले आओ
अंधेरी रात की गहरी खमोशि और तन्हा दिल
दिए कि लौ भी मद्धम है कभी मिलने चले आओ
तुम्हारे रूठ के जाने से हमको ऐसा लगता है
मुकद्दर हमसे बरहम हैं कभी मिलने चले आओ
हवाओं और फूलों की नई खुशबू बताती है
तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ
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