आज चाँदनी रातो में
मैं
निकली हुँ
तुम्हें ढूंढने,
यह सोच कर
कि चाहे दिन के उजालों में
लोगो कि वजह से
ढुंढ ना पाऊं,
पर चाँदनी की महक में
तुम
रुक ना पाओगे
खिचे चले आओगे
मेरे पास आ जाओगे,
पर तुमने अपने घर की
तेज
रौशनी से
घर इतना रोशन कर रखे हो
कि,
चांदनी के मीठे बुलावे को
देखी नहीं पाए
महसूस ही नहीं कर पाए,
चांदनी के साथ-साथ
मैं तुम्हें इंतजार कर रही हूं
इसी आश में
की
तुम
जरूर आओगे,,,,,