# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .सक्षम "
# कविता ***
प्रभु तू ही ,तारणहार ठहरा ।
प्रभु तू ही ,सक्षम ठहरा ।।
प्रभु तेरी मर्जी ,बिन पत्ता नहीं डोलता ।
प्रभु तेरी मर्जी ,बिन जग नहीं चलता ।।
प्रभु तू प्रकृति ,में रंग अनोखे भरता ।
प्रभु तू ही नव ,सृजन करता ।।
तेरी महिमा , को चारों ओर दिखाता ।
जड़ चेतन को ,तू ही सांसे देता ।।
तुझें जो पाले ,वो निहाल हो जाता ।
बृजेश कहता सब तेरे ,ही गुण गाता ।।
बृजमोहन रणा ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।