एक बचपन👼का ज़माना था, खुशियों😃का खजाना था ।
चाहत चाँद🌙को पाने की, दिल❤️तितली🦋का दीवाना था।
खबर न थी कुछ सुबह🌄की, ना शाम🌃का ठिकाना था।
थक हार कर आ🏬स्कूल से, पर खेलने🤾भी जाना था।
दादी की कहानी👂थी, परियों👰🤔का फ़साना था
बारिस🌧️में कागज की कश्ती🛶थी, हर मौसम सुहाना था।
हर खेल🤼🤸में साथी थे, हर रिश्ता🤝निभाना था।
गम😫की जुबान न होती थी, जख्मो का पैमाना न था।
रोने😢की बजह न थी, न हँसने🤣का बहाना था।
ये कहा आ गए हम🙄......वो बचपन ही सुहाना था😔😒😟😥😒☹️☹️☹️☹️