" समुन्दर की लहरें "
वह किनारा मैं ढुंढता, जहां समुन्दर की लहरें आती,
वह लहरें मैं देखता, जहां प्रेम की नदियां बहती,
लहरों ने प्रेम जताया, मेरे पांवों को सहलाया,
जैसे मेरे पुराने घावों पर,
लहरों ने मरहम लगाया,
फिर कभी ना मैं,समुन्दर किनारे आया,
लहरों के प्रेम ने मुझे,आज सच्चा इंसान बनाया,,
@कौशिक दवे