रहस्य, रोमांच, उत्सुकता, और पितृसत्तात्मक कथानक से भरपूर अनुष्का शर्मा की 'बुलबुल', नये फ्रेम में पुरानी तस्वीर जरुर है मगर पिक्चराइजेशन, सजावट, सैट, प्रस्तुतिकरण ने दिल छू लिया। बंगाली ठाकुराना शासन की भीतरी कालिख में घुटती औरतों की दमघोंटू साँसें और फिर अन्त के बाद एक नयी औरत की पैदाइश, मार्मिक और सशक्त चित्रण का अपना ही आकर्षण।
1881 के दशक को हारर के साथ मिला कर फिल्माना नया प्रयोग जरुर है मगर कहीं से भी कमजोर नही। तृप्ति डिमरी, अविनाश तिवारी, राहुल बोस और पाओली डॉम का अभिनय इतना जबरदस्त है कि जिसने पूरे डेढ़ घण्टें हिलने नही दिया। इसके अलावा डाक्टर का किरदार भी कम जबरदस्त नही है चार-छ सीन में ही प्रभाव छोड़ गये। हवेली, जंगल, ड्रेस डिजाइन सबने एक अलग ही समां बाँध दिया।
खत्म होने पर झटका लगा। फिल्म को और बढ़ा होना चाहिये था, इसकी गुंजाइश थी। जल्दी सिमट जाने की कोफ्त बनी रही। बुलबुल netflix की लाजवाब फिल्म.......
छाया अग्रवाल