# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .उत्साही "
** कविता **
उत्साही अपने उत्साह से ,कर्मशील बनता ।
उत्साह ही उसके ,मार्ग को प्रशस्त करता ।।
उत्साह से वह असंभव ,कार्य को संभव करता ।
उत्साह उसकी रगों ,में साहस भरता ।
तन की थकान ,उसे कभी नही लगती ।।
अपनी अथक परिश्रम ,से अपनी मंजिल पाता ।
सहज नहीं मिलते ,उसे मोती छिछले पानी में ।।
उसे गोता लगाना ,पड़ता गहरे पानी में ।
पल में मोती ,रत्नों ,को सागर से लाता ।।
अपने उत्साह से ,आकाश से तारे तोड़ लाता ।
उत्साह ही हमेशा ,उसे विश्व में विजय दिलाता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।