अक्सर जब तुम्हें याद करती हूं ना जाने क्यों ?
न जाने क्यों कोई ना कोई कहानी याद आ जाती !
न मौजूद हो तुम नजरों के सामने ना ही किस्मत में,
ना जाने दिल को क्यों तुम्हारी ही याद आ जाती ?!
अपनी जिंदगी में खुद को इतना प़रो दिया है ताकि तुम्हारे होने ना होने से कोई फर्क महसूस ना हो,
लेकिन कमबख्त रातें और वह महोब्बत की बातों में तुम्हारी याद आ ही जाती !
कई दफा लोगों ने हमारी वह सातो जनम ना टूटने वाली प्रेम कहानी को दोहराया,
मैं एक अनजानी सी बनकर तुम्हें भूलने का नाटक करती और तब भी तुम्हारी याद आ जाती !
चलो अब इतना तय है कि जिंदगी को कितना भी ऊपर ले जाऊं कितनी भी कोशिश कर लूं,
यादें मेरे साए की तरह मेरे साथ ही रहेगी !
बस फिर क्या आजकल उन्हीं यादों के सहारे थोड़ा मुस्कुरा लेती हूं अकेले में रो भी पढ़ती हूं और कहानियां लिख लेती हूं,
वही कहानी जिसे कभी हमने साथ मिलकर ख्वाबों में सजाया था ,
अक्सर सोचती हूं कि तुम्हें भुला दूं लेकिन फिर तुम्हारी याद तो आ ही जाती !!
Urmi