अपनी आंखों में समा लो मुझको
रिश्ता ए- दर्द समझकर ही निभा लो मुझको
चूम लेती हूं तुम्हारी तस्वीर को
तुम भी अपना बना लो मुझको
मैं हूं महबूब सिर्फ उनका
मुझे हैरत है
कैसे पहचान लिया तुमने मुझको
मेरी तस्वीर को शीशे के जैसे निहारो मुझको
तुमने बरता है बहुत
अब तो संभालो मुझको
गए जून की तरह लौट के आ जाऊंगी
तुमसे मैं रूठ गई हूं
तो मना लो मुझको
तुम अपने चेहरे को जिस शीशे में निहारते हो
वही आइना हूं मैं
टूट जाऊंगी
ना इस तरह उछालो मुझको