आज फिर सोच में बैठा,क्या लिखूँ,किस पर लिखूँ
कोई एक एहसास तो ऐसा हो,जिस पर लिखूँ
महबूब के पावन प्यार पर लिखूँ
दर्पण में रचते श्रृंगार पर लिखूँ
नमकीन मोहब्बत की बातें लिखूँ
या इश्क की मीठी तकरार पर लिखूँ
दुनिया की दुनियादारी पर लिखूँ
पैसे की बढती खुमारी पर लिखूँ
महंगी कारों में बैठे लोगो पर लिखूँ
या कहीं रोटी की लाचारी पर लिखूँ
राजनीति में भिखरे खून पर लिखूँ
खून पे होती राजनीति पर लिखूँ
करोडो की चढ़ती माला पर लिखूँ
या माला पर चढ़ती कूटनीति पर लिखूँ
स्वार्थी होते एहसासों पर लिखूँ
पैसे पर बिकते जज्बातों पर लिखूँ
धोखे में डूबे दिन पर लिखूँ
या अय्यासी में भीगी रातो पर लिखूँ
तड़प रही कलम मेरी,भावना विहीन हो अब
तुम ही बताओ प्रिय,क्यों ऐसे संसार पर लिखूँ …,,,,,,,,,,,