मैंने लिखना चाहा पर लिखा नहीं
जो लिखा वह किसी को दिखा नहीं!
मैंने लिखा कुछ भी नहीं
तुमने पढ़ा कुछ भी नहीं!
मेरी खुशी तुमसे दिखी नहीं
तेरी गलती किसी से छिपी नहीं!
यह तो नजर की बात है
Accha bura kuchh bhi nhi!
जो मैंने बोला वह सुना नहीं
जो सुना वो मैं बोला नहीं!
कितनी यादें आई है सबकी
मैंने किसी से कहा नहीं!
तुम जानते थे सब कुछ
Phir bhi tum ne kuchh kha nhi,
आजकल तो आम बात हो गई है
फिर कोई कुछ कहा नहीं!
चाहा तुम्हें यह कहूं अब
लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं!
दिल में अभी भी सारी बातें हैं
शायद तुमने सुना ही नहीं!