याद भी बाक़ी नहीं है;
ख्वाब भी बाकी नहीं है;
जबसे छोड़ दिया है
तुमने हाथ हमारा
इस बदन में अब
जान भी बाकी नहीं है;
फिरते हैं इधर उधर
होकर हम दिवाने
क्या करें? इस दिल में
तेरा ख्याल भी बाकी नहीं है ;
मिलोगे कमी तो बतायेंगे तुम्हें हम
ये तन तो है मगर इनमें
रुह भी बाकी नहीं है ;
....✍️वि. मो. सोलंकी "विएम"